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एमपी में सिंधिया और राजस्थान में पायलट: गांधी परिवार के वफादारों के दुश्मन बने दो पुराने दोस्त!

भोपाल। दो पुराने दोस्त कांग्रेस पार्टी के शीर्ष पर काबिज गांधी परिवार के लिए इन दिनों सबसे बड़ी मुसीबत बन गए हैं। वो इसलिए क्योंकि इस दोस्तों की जोड़ी ने परिवार के वफादारों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। खास बात यह है कि कभी ये दोनों ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबियों में शामिल थे। इनमें से एक अपने गृह राज्य में कांग्रेस की सरकार गिराने के बाद अब पार्टी छोड़ चुका है। दूसरा पार्टी में रहकर अपने राज्य में कांग्रेस की सरकार गिराने की कोशिश कर चुका है। सबसे खास बात यह है कि दोनों के निशाने पर गांधी परिवार के वफादार ही हैं। मध्य प्रदेश में जो काम () ने कमलनाथ () की सरकार के साथ कर दिया, वही कोशिश राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार के साथ () भी कर चुके हैं। पायलट ने अपनी ही पार्टी के सरकार के नाम एक चिट्ठी लिखी है जिसे शनिवार को मीडिया के लिए जारी किया गया। उन्होंने राज्य की सरकारी नौकरियों में अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) को पांच प्रतिशत आरक्षण देने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि चुनावी घोषणा के बावजूद यह आरक्षण अभी तक लागू नहीं किया गया है। मार्च, 2020 में कमलनाथ (Kamal Nath) की सरकार गिराने के बाद सिंधिया 22 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। अब वे प्रदेश में विधानसभा की 27 सीटों के लिए होने वाले उपचुनावों को लेकर बीजेपी के प्रचार अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। इस दौरान वे कमलनाथ के साथ एक और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह () के खिलाफ एक के बाद एक हमले कर रहे हैं। कमलनाथ और दिग्विजय, दोनों ही गांधी परिवार के पुराने विश्वस्तों में शामिल हैं। इसी तरह, 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद अशोक गहलोत को राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलने का सबसे बड़ा कारण गांधी परिवार से निकटता ही थी। शुक्रवार को शिवपुरी के पोहरी में सिंधिया ने कमलनाथ (Kamal Nath) और दिग्विजय को सबसे बड़ा गद्दार बताया। शनिवार को मुरैना में उन्होंने इसे दोहराया। करीब एक महीने पहले तक अशोक गहलोत की सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे पायलट सरकार से बाहर होने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी गंवा चुके हैं। सरकार गिराने की नाकाम कोशिश के बाद वे मुख्यमंत्री गहलोत को चुनावी वादों की याद दिला रहे हैं, जैसे सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ने से पहले एमपी में किया था। पायलट ने अपनी चिट्ठी में उन भर्तियों के नाम भी लिखे हैं, जिनमें एमबीसी को 5 प्रतिशत आरक्षण का फायदा नहीं मिला। सिंधिया और पायलट, दोनों खुद भी गांधी परिवार के करीबियों में शामिल रहे हैं। सिंधिया को राहुल गांधी () के दोस्तों में गिना जाता था। उनके कांग्रेस छोड़ने के बाद खुद राहुल ने भी इसका संकेत दिया था। इसी तरह, वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री रहते पायलट को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद मिलने में युवाओं को आगे लाने की राहुल की शुरुआती कोशिशों की बड़ी भूमिका थी। लेकिन अब ये दोनों ही अपने-अपने राज्यों में परिवार के वफादारों के खिलाफ बगावती तेवर अपनाए हुए हैं। हालांकि, ये दोनों आपस में भी अच्छे दोस्त हैं और अलग-अलग पार्टी में होने के बावजूद इस पर कोई असर नहीं पड़ा है। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व में भी इन दिनों गांधी परिवार के वफादार और अन्य नेताओं के बीच जबरदस्त संघर्ष छिड़ा है। 23 वरिष्ठ नेताओं की ओर से पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी से शुरू हुआ विवाद अब इन दो धड़ों के बीच खुले संघर्ष में तब्दील हो चुका है। ऐसे में गांधी परिवार के सिपहसालारों के खिलाफ इन दोनों के हमले पार्टी नेतृत्व के लिए भी मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं।


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